GST में रजिस्टर्ड करदाताओं को कौन-कौन से रिटर्न भरने होते हैं?
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के तहत, पंजीकृत करदाताओं द्वारा अनिवार्य रूप से रिटर्न भरने की कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं। निम्नलिखित विभिन्न प्रकार के रिटर्न जिन्हें जीएसटी के तहत भरना आवश्यक होता हैं:
- GSTR–1: यह रिटर्न हर पंजीकृत करदाता द्वारा भरना आवश्यक होता है जो सामान या सेवाओं की आपूर्ति में शामिल होते हैं। इसमें करदाता द्वारा एक विशिष्ट कर अवधि के दौरान की जाने वाली सभी बाहरी आपूर्तियों का विवरण होता है।
- GSTR-3B: यह रिटर्न मासिक आधार पर सभी पंजीकृत करदाताओं द्वारा भरना आवश्यक होता है। यह कर अवधि के दौरान की बाहरी और अंतर्गत आपूर्तियों (Outward and Inward Supplies) का सारांश होता है, साथ ही भुगतान किए गए कर की राशि का भी विवरण होता है।
- GSTR-4: यह रिटर्न GST के तहत कंपोजीशन स्कीम का चयन करने वाले करदाताओं द्वारा फाइल किया जाना चाहिए। यह तिमाही रिटर्न होता है जिसमें तिमाही के दौरान किए गए सप्लाई के विवरण और कर जमा की गई राशि शामिल होती है।
- GSTR-5: इस रिटर्न को भारत में सामान या सेवाओं की आपूर्ति में शामिल नॉन-रेजिडेंट करदाताओं द्वारा फाइल किया जाना चाहिए।
- GSTR-6: इस रिटर्न को इनपुट सेवा वितरक (ISDs) द्वारा फाइल किया जाना चाहिए। इसमें टैक्स अवधि के दौरान प्राप्त और वितरित किए गए सभी चालानों का विवरण शामिल होता है।
- GSTR-7: इस रिटर्न को GST के तहत टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) कटौती करने के लिए अधिकृत करदाताओं द्वारा फाइल किया जाना चाहिए। इसमें टीडीएस दर्ज किए गए सभी टीडीएस के विवरण शामिल होते हैं, जो सरकार के साथ कटौती किए गए हैं।
- GSTR-8: इस रिटर्न को जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तु या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा अपनी प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाने वाली सभी बाहरी आपूर्तियों का विवरण दर्शाता है।
उपरोक्त रिटर्न के अलावा, कुछ ऐसे अन्य रिटर्न हो सकते हैं जो विशिष्ट परिस्थितियों में करदाताओं द्वारा फ़ाइल किए जाने की आवश्यकता होती है। इन रिटर्नों को समय पर न फ़ाइल करने से दंड और ब्याज जुर्माने के रूप में लग सकते हैं।